हम श्री दिगंबर जैन पंचबालयति मंदिर ही नहीं अपितु सद्ज्ञान संस्कार और श्रमण संस्कृति के उच्च आदर्शो को जन जन में स्थापित करने का स्वप्न लेकर आपके सामने आये है। जिन्हे साकार करने का महान कार्य आपको करना है।
संयम, साधना ज्ञान, जागरण, सेवा, सदभावना को विस्तारित करने की योजना में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के प्रिय शिष्य ऐलकश्री सिद्धांतसागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं आप सभी के उदार सहयोग से तीन मंज़िला 108 फुट उत्तुंग भव्य श्री पाँचबालयति जिनलाय, संत निवास, त्यागी व्रती आश्रम, अतिथि निवास, छात्रावास, ध्यान केंद्र एवं पुस्तकालय निर्मित हो चुका है । जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
दिव्यता, भव्यता और नव्यता से परिपूर्ण इस केंद्र पर शीघ्र ही समस्त गतिविधियां विधिवत रूप से संचालित होने जा रही है । कृपया आप इन योजनाओ में अपनी सक्रिय सहभागिता प्रदान कर पुण्यार्जन करें।
विवरण | |
---|---|
स्थापना : | 6 जून 1998 |
आशीर्वाद : | आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज |
प्रेरणा : | ऐलक सिद्धांतसागरजी महाराज |
निर्देशन : | पं गुलाबचंदजी पुष्प (टीकमगढ़), पं रतनलालजी शास्त्री (इंदौर) |
मुख्य सूत्रधार : | ब्र धर्मचंदजी, ब्र सुरेश मलैया, ब्र जिनेश मलैया, श्री अरविंद जैन, श्री भागचन्द्र मलैया |
मुख्य वास्तु निर्देशक : | इंजी. श्री डी.एस. परिहार |
न्यास पंजीयन ट्रस्ट : | 747/म.प्र.ट. 148/वी-113/19-2000 |
न्यास पंजीयन युवक संघ : | आइएनडी/4002/99 w |