अकलंकदेव पुस्तकालय एवं निकलंकदेव वाचनालय

 अकलंकदेव पुस्तकालय एवं निकलंकदेव वाचनालय

इसमे 10 हजार अमूल्य ग्रंथ एवं पांडुलिपियों का अनूठा संकलन है। श्री आजाद जैन बीड़ी वालों के अर्थ सोजन्य से यह भवन निर्मित है । इसके उपर की मंजिल बनाने का सौभाग्य श्री खेमचंदजी सोरई वालों को प्राप्त हुआ है। इसमे लगभग 1 लाख ग्रंथ रखने की योजना है।